देख तालाब की हालत थोड़ा मै खड़ा क्या हो गया तालाब गुस्से से बोला क्या देखता है ? ये मौत मेरी नहीं , तेरे अंत की शुरुवात है । फिर जगा मेरे अंदर का, विज्ञान विद्यार्थी देते चेतावनी मै बोला मनुष्य हूं मनुष्य धरती का हृदय फाड़ पानी निकलता हूं। हुंह जरूरत नहीं मुझे तेरी । इतना सुनते ही वो क्रोधित हो बोला अबे आंख के अंधे, दिमाग के खाली अख़बार नहीं तू पढ़ता क्या ? 2000 फीट चेन्नई में पानी मिला था क्या ? ज्यादा गहराई, भारी धातु युक्त पानी पी पाएगा क्या ? देख उसका ज्ञान मै थोड़ा अचरज में था । पर मुझे भी अपने विज्ञान के ज्ञान का गुरूर था । अबे ! नहीं धरती के गर्भ का पानी, तो क्या ? समंदर भरे पड़े है । शुद्धिकरण उसका कर, प्यास बुझा लूंगा । इतना सुनते ही वो बौखला कर बोला R O, U V तकनीकी की बात तो मत ही कर कभी जांच करा कर देख हड्डियां तेरी आधी जांच में ही टूट जाएगी । प्रतिरोधकता कितनी बची ये भी दिख जाएगी। जवाब नहीं था मेरे पास, पर डिग्री का घमंड तो था ही। चोट उसके हृदय पर करते हुए मै बोला मूर्खों से बात नहीं करता मै, डिग्री है कोई तेरे पास जो ज्ञान दे रहा है इस बार वार उसकी ...