मेरी क्या गलती ? ( Creature other than Human to Human)
मुझे मिली तीन ऋतुएं जाड़ा,गर्मी और बरसात
जो मुझे चाहिए था सब कुछ था मेरे पास
महत्वकांक्षा तुम्हारी ,पर दुर्गति क्यों की हमारी ?
पेड़ों पर आंख पड़ी तुम्हारी,
दे मारी तुमने, उन पर कुल्हाड़ी
जंगल इधर समिटते गए
कंक्रीट के टीले बनते गए
कारखानों से निकला जहर
नदियों पर टूटा बनकर कहर
आधुनिकता की अंधी दौड़ तुम्हारी
पीढ़ियां ख़तम हो गई है हमारी
जो अब भी ना सचेत हुए
तो अगली बारी होगी तुम्हारी ।

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