भारतीय भाषाओं की व्यथा
मै भारत की भाषा हूं मैं अपनी अंतिम सांसे ले रही हूं कई मेरी सहेलियां प्रायः विलुप्त हो चुकी मिला उनको भी संरक्षण का अधिकार था संविधान का अनुच्छेद* और उच्चतम न्यायालय था । उच्चतम न्यायालय, जिससे न्याय की आशा थी सुना था, संरक्षक है वो संविधान का, मेरे मौलिक अधिकार का पर वहीं कुचलता* मुझे रोज है। मेरी जगह ही नहीं उसकी दलीलों, उसके प्रांगण में रखो अपना संविधान, अपना न्यायालय और अपना किया हुआ, एक दिन का यह अहसान। - अजय *अनुच्छेद - ३५१ *उच्चतम न्यायालय में केवल अंग्रेजी में ही दलीलें दे सकते है, किसी भारतीय भाषा में नही । ...